भारत में आपने कई अरबपति कारोबारियों के संघर्ष की कहानियां सुनी होंगी। उनमें से कोई गांव से शहर आया, किसी ने मुश्किल वक्त में सड़कों पर रातें बिताईं, लेकिन आज के इस लेख मे आपको ऐसे पूंजीपति की सक्सेस स्टोरी बताने जा रहे हैं जिनके पिता एक गरीब किसान थे और जब वो घर से निकले तो जेब मे बस 50 रुपए थे और आज उन्होंने अपने मेहनत से करोड़ों-अरबों का कारोबार खड़ा कर लिया। इनकी जीवन की कहानी वाकई प्रेरणादायक है। हम बात कर रहे हैं देश की दिग्गज रियल एस्टेट कंपनी ‘शोभा लिमिटेड’ (Sobha Ltd) के फाउंडर पीएनसी मेनन (PNC Menon Success Story) की। एक गरीब किसान का बेटा ओमान का सबसे अमीर भारतीय कैसे बना? यह कहानी हर युवा को पढ़नी चाहिए।
10 साल की उम्र में सिर से उठा पिता का साया
पीएनसी मेनन ओमान के सबसे अमीर शख्स माने जाते हैं। वह शोभा लिमिटेड के संस्थापक और प्रमुख हैं। उनका जन्म केरल के पालघाट जिले एक कृषक परिवार में हुआ था। उनका पूरा नाम पुथन नादुवक्कट चेंथमरक्ष मेनन है। पीएनसी मेनन की जिंदगी तब मोड़ लिया जब वह सिर्फ दस साल के थे और उनके पिता का असमय निधन हो गया। उनके पिता किसान थे जिसके बाद परिवार पर आर्थिक परेशानियों का पहाड़ टूट पड़ा। मां अक्सर बीमार रहती थीं और दादा अनपढ़ थे। आर्थिक तंगी के कारण मेनन बीकॉम की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए।
फर्नीचर के काम से किस्मत ने करवट ली
बिना किसी डिग्री के भी उन्होंने इंटीरियर डिजाइन और फर्नीचर का काम शुरू किया। 1970 के दशक में उन्होंने लकड़ी के फर्नीचर की एक छोटी सी कंपनी खड़ी की। जिसके बाद उनकी किस्मत ने करवट ली। चीन के एक होटल में मेनन की मुलाकात ओमान की सेना के कैप्टन सुलेमान अल अदावी से हुई। उनके काम से प्रभावित होकर अदावी ने मेनन को ओमान आने का सुझाव दिया। मेनन ने जोखिम उठाकर जेब में सिर्फ 50 रुपये लेकर ओमान पहुंच गए।

उधारी लेकर बनाई कंपनी और बदल गया इतिहास
ओमान जाकर मेनन ने 3.5 लाख रुपये का लोन लिया और इंटीरियर डेकोरेशन की कंपनी शुरू की। उनकी मेहनत रंग लाई, उनका हुनर ओमान की प्रतिष्ठित इमारतों जैसे सुल्तान कबूस मस्जिद और अल बुस्तान पैलेस में देखने को मिला। साल 1995 में मेनन भारत लौटकर बेंगलुरु में शोभा डेवलपर्स की नींव रखी, जिसका नाम उन्होंने अपनी पत्नी शोभा के नाम पर रखा। आज यह कंपनी 12 राज्यों में काम करती है और इसका कुल बाजार पूंजीकरण करीब 14,789 करोड़ रुपये है और कुल कारोबारी साम्राज्य लगभग 23 हजार करोड़ रुपये है।
क्वालिटी की ज़िद: जब उखड़वा दीं 10,000 टाइल्स
पीएनसी मेनन काम में ‘परफेक्शन’ के लिए जाने जाते हैं। इसका एक मशहूर किस्सा है। एक बार इंफोसिस (Infosys) के हैदराबाद कैंपस का काम पूरा हो गया था और टीम ने उसे पास भी कर दिया था। लेकिन जब मेनन ने खुद निरीक्षण किया, तो उन्हें टाइल्स की फिनिशिंग में थोड़ी कमी लगी। उन्होंने बिना सोचे 10,000 वर्ग फीट की टाइल्स उखाड़कर दोबारा लगाने का आदेश दे दिया। पैसे का नुकसान हुआ, लेकिन उन्होंने क्वालिटी से समझौता नहीं किया। यही वजह है कि आज ‘शोभा लिमिटेड’ पर लोग आंख मूंदकर भरोसा करते हैं।

खुद नहीं पढ़े, लेकिन हजारों को पढ़ा रहे हैं
खुद पढ़ाई पूरी न कर पाने वाले मेनन ने समाज के लिए बड़ा सपना देखा। गांव में गरीबों के लिए पूरी तरह मुफ्त सुविधा के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर का स्कूल बनवाया इसके साथ ही सुपरस्पेशलिटी अस्पताल बनवाए और बुजुर्गों के लिए वृद्धाश्रम भी बनवाए। पीएनसी मेनन का जीवन युवाओं को यह सिखाता है कि हालात कितने भी कठिन हों, हार मानना विकल्प नहीं है। मेहनत और अनुशासन से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है। समय और गुणवत्ता से कभी समझौता नहीं करना चाहिए।
पीएनसी मेनन की कहानी सिखाती है कि शुरुआत चाहे 50 रुपये से हो या 50 करोड़ से, अगर आपके काम में ‘क्वालिटी’ और इरादों में ‘ईमानदारी’ है, तो दुनिया आपके कदमों में होगी।

