Home Mythology द्वारका नगरी का रहस्य: क्या द्वारका नगरी वास्तव में अस्तित्व में थी?

द्वारका नगरी का रहस्य: क्या द्वारका नगरी वास्तव में अस्तित्व में थी?

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द्वारका नगरी का रहस्य: क्या द्वारका नगरी वास्तव में अस्तित्व में थी?

कल्पना कीजिए… एक ऐसी नगरी, जो सोने से सजी हो, जहाँ का राजा स्वयं भगवान हो। एक नगरी जहाँ धरती और स्वर्ग के बीच की रेखा धुंधली पड़ जाती है। लेकिन फिर, एक दिन, वह पूरी नगरी समुद्र की लहरों में समा जाती है… बिना कोई निशान छोड़े। यह रहस्य जितना सुलझाने का प्रयास किया जाता है, उतना ही गहराता जाता है। विज्ञान और आस्था आज भी इस गूढ़ रहस्य को सुलझाने में असमर्थ हैं।

हम बात कर रहे हैं भगवान श्रीकृष्ण की नगरी द्वारका की। लेकिन सवाल यह है– क्या द्वारका सच में अस्तित्व में थी? अगर हाँ, तो आखिर क्यों और कैसे एक ही पल में समुद्र की गहराइयों में समा गई? या फिर यह केवल एक पौराणिक कथा है? इस लेख में हम द्वारका के हर पहलू को उजागर करेंगे।

द्वारका नगरी का निर्माण

कथा कहती है कि मथुरा में बार-बार हो रहे आक्रमणों से परेशान होकर भगवान श्रीकृष्ण ने अपने यदुवंशियों को सुरक्षित स्थान पर ले जाने का फैसला किया। उन्होंने समुद्र देवता से भूमि मांगी और दिव्य वास्तुकार मायासुर ने समुद्र के किनारे एक अलौकिक नगरी द्वारका का निर्माण किया।

द्वारका केवल ईंट और पत्थरों से बनी नगरी नहीं थी, बल्कि इसे देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त था। यहाँ की विशेषताएँ इस प्रकार थीं:

  • सोने-चांदी से जड़े महल और रत्नों से सजी गलियाँ।
  • शानदार वास्तुकला, जो देवताओं की कला से प्रेरित थी।
  • सुरक्षा प्रणाली, जिससे नगरी अजेय बनी रही।

द्वारका सचमुच धरती पर एक स्वर्ग थी, जहाँ श्रीकृष्ण का राज्यकाल अद्वितीय था।

द्वारका का विनाश – समुद्र की गर्जना

एक पुरानी कहावत है – “इस धरती पर जो भी आया है, उसका विनाश भी निश्चित है।” महाभारत युद्ध के बाद द्वारका पर भी विनाश की छाया मंडराने लगी।

  • यदुवंश में आपसी संघर्ष और अभिशाप ने नगरी को दुर्भाग्य के गर्त में धकेल दिया।
  • श्रीकृष्ण के महाप्रयाण के बाद समुद्र ने अपनी सीमाओं को तोड़ दिया और धीरे-धीरे पूरी द्वारका नगरी को निगल लिया।
  • कुछ ही पलों में यह भव्य नगरी समुद्र की लहरों में समा गई।

क्या द्वारका सच में अस्तित्व में थी? वैज्ञानिक प्रमाण

1980-90 के दशक में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और समुद्री पुरातत्वविद डॉ. एस.आर. राव के नेतृत्व में समुद्र तल की गहराइयों में खोज शुरू हुई। गुजरात के तट से लगभग 100 फीट नीचे गोताखोरों को कुछ चौंकाने वाली चीज़ें मिलीं:

  • विशाल पत्थर की दीवारें, सीढ़ियाँ, स्तंभ और मंदिरों जैसी संरचनाएँ।
  • 9,000 साल पुरानी सभ्यता के अवशेष, जो इतिहास को फिर से लिखने की क्षमता रखते हैं।
  • शंख, मूर्तियाँ, और सिक्के, जो महाभारत के समय की कथाओं से मेल खाते हैं।

कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि समुद्री भूकंप या जलवायु परिवर्तन ने इस नगरी को जलमग्न कर दिया। कई वैज्ञानिकों का मानना है कि यह भारत की सबसे पुरानी ज्ञात सभ्यताओं में से एक थी।

क्या यह आस्था है या इतिहास?

द्वारका का रहस्य आज भी लोगों को चौंकाता है। क्या यह श्रीकृष्ण की नगरी थी? या केवल एक पुरानी सभ्यता का हिस्सा? विज्ञान और आस्था आज भी इस रहस्य को सुलझाने में लगे हैं।

द्वारका अब चार धामों में से एक है और श्रीकृष्ण भक्तों के लिए प्रमुख तीर्थ स्थल है। द्वारकाधीश मंदिर आज भी भगवान श्रीकृष्ण की दिव्यता का प्रतीक है।