
भारत का संविधान सिर्फ एक किताब नहीं, बल्कि देश का वह दस्तावेज है जो हमें एकजुट करता है। यह बताता है कि सरकार कैसे काम करेगी, नागरिकों के अधिकार क्या हैं, और हमें अपने कर्तव्यों का पालन कैसे करना है। 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने इसे अपनाया, और 26 जनवरी 1950 से यह लागू हुआ। इसे डॉ. बी.आर. अंबेडकर की अध्यक्षता में बनाया गया, जिन्हें “संविधान का निर्माता” कहा जाता है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह संविधान इतना खास क्यों है? आइए, इसे आम आदमी की भाषा में समझते हैं।
संविधान क्या है और क्यों जरूरी है?
संविधान एक तरह का नियम-पुस्तक है, जो देश को चलाने का ढांचा देता है। यह सरकार को बताता है कि उसे क्या करना है और क्या नहीं। साथ ही, यह नागरिकों को उनके अधिकार और कर्तव्य सिखाता है। बिना संविधान के देश में अराजकता फैल सकती है।
- नागरिकों की रक्षा: संविधान हमें बोलने, सोचने और जीने की आजादी देता है।
- समानता का आधार: यह हर धर्म, जाति और लिंग के लोगों को बराबर मानता है।
- न्याय का रास्ता: संविधान के जरिए हर व्यक्ति को न्याय मिलने का हक है।
संविधान की वजह से भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य है, जहां ‘हम, भारत के लोग’ ही असली ताकत हैं।
संविधान की मुख्य विशेषताएं
भारत का संविधान दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है। इसमें 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियां और 5 परिशिष्ट हैं। लेकिन इसकी खासियतें इसे और भी अनोखा बनाती हैं:
- लोकतंत्र: भारत में सरकार ‘जनता द्वारा, जनता के लिए, जनता के लिए’ चुनी जाती है।
- धर्मनिरपेक्षता: हर धर्म को बराबर सम्मान, कोई भेदभाव नहीं।
- संघीय ढांचा: केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर देश चलाती हैं।
- लचीलापन और कठोरता: संविधान में बदलाव हो सकते हैं, लेकिन इसकी मूल संरचना को कोई नहीं बदल सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने 1973 में केशवानंद भारती मामले में ‘मूल संरचना सिद्धांत’ दिया, जिसके तहत संसद संविधान की बुनियादी विशेषताओं को नहीं बदल सकती।
मौलिक अधिकार से संबंधित अनुच्छेद
संविधान का तीसरा भाग (अनुच्छेद 12 से 35) मौलिक अधिकारों की बात करता है। ये वो अधिकार हैं, जो हर भारतीय को मिले हैं:
- समानता का अधिकार: कोई भेदभाव नहीं, सब बराबर। (अनुच्छेद 14-18)
- स्वतंत्रता का अधिकार: बोलने, घूमने, और अपने तरीके से जीने की आजादी। (अनुच्छेद 19-22)
- शोषण के खिलाफ अधिकार: बाल मजदूरी और मानव तस्करी के खिलाफ सुरक्षा। (अनुच्छेद 23-24)
- धर्म की स्वतंत्रता: अपनी पसंद का धर्म मानने का हक। (अनुच्छेद 25-28)
- संस्कृति और शिक्षा का अधिकार: अपनी भाषा और संस्कृति को बचाने का हक। (अनुच्छेद 29-30)
- संवैधानिक उपचार का अधिकार: अपने अधिकारों की रक्षा के लिए कोर्ट जा सकते हैं। (अनुच्छेद 32)
अगर सरकार या कोई व्यक्ति आपके अधिकार छीनता है, तो आप सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सकते हैं।
मौलिक कर्तव्य: आपकी जिम्मेदारी
संविधान सिर्फ अधिकार ही नहीं देता, बल्कि कुछ जिम्मेदारियां भी सौंपता है। 1976 में 42वें संशोधन के जरिए 10 मौलिक कर्तव्य जोड़े गए, और 2002 में 11वां कर्तव्य शामिल हुआ। कुछ प्रमुख कर्तव्य:
- संविधान का पालन करना तथा उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का आदर करना,
- स्वतंत्रता के लिए राष्ट्रीय संघर्ष को प्रेरित करने वाले महान आदर्शों को संजोकर रखना और उनका पालन करना ,
- भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को बनाए रखने और उसकी रक्षा करने के लिए,
- देश की रक्षा करना तथा आह्वान किये जाने पर राष्ट्रीय सेवा करना,
- भारत के सभी लोगों के बीच धार्मिक, भाषाई और क्षेत्रीय या सांप्रदायिक विविधताओं से ऊपर उठकर सद्भाव और समान भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना तथा महिलाओं की गरिमा के विरुद्ध अपमानजनक प्रथाओं का त्याग करना,
- देश की समग्र संस्कृति की समृद्ध विरासत को महत्व देना और संरक्षित करना ,
- वनों, झीलों, नदियों और वन्य जीवन सहित प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और सुधार करना तथा जीवित प्राणियों के प्रति दया रखना,
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानवतावाद, तथा जिज्ञासा एवं सुधार की भावना विकसित करना ,
- सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा करना और हिंसा का परित्याग करना,
- व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधि के सभी क्षेत्रों में उत्कृष्टता की ओर प्रयास करना ताकि राष्ट्र निरंतर प्रयास और उपलब्धि के उच्च स्तर तक पहुंच सके, और
- छह से चौदह वर्ष की आयु के बीच के अपने बच्चे या प्रतिपाल्य को शिक्षा के अवसर प्रदान करना (86वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2002 द्वारा जोड़ा गया)।
ये कर्तव्य हमें याद दिलाते हैं कि देश के प्रति हमारी भी जिम्मेदारी है।
संविधान की प्रस्तावना
संविधान की शुरुआत में प्रस्तावना है, जो इसके उद्देश्य को बताती है। इसे ‘संविधान का दिल’ कहा जाता है। इसमें लिखा है:
“हम, भारत के लोग, भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने और सभी नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समानता प्रदान करने के लिए दृढ़संकल्प होकर, इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।”
यह प्रस्तावना हर भारतीय को एकजुट होने और देश के लिए काम करने की प्रेरणा देती है।
संविधान के निर्माण की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
संविधान बनाने में 2 साल, 11 महीने और 18 दिन लगे। 1946 में बनी संविधान सभा में 389 सदस्य थे, जिनमें डॉ. अंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल और मौलाना आजाद जैसे दिग्गज शामिल थे।
- प्रेरणा के स्रोत: संविधान को बनाने में अमेरिका, ब्रिटेन, आयरलैंड, कनाडाई, ऑस्ट्रेलियाई, जर्मनी का वाइमर संविधान, सोवियत संविधान और फ्रांस के संविधानों से प्रेरणा ली गई।
- हिंदी में अनुवाद: रघु वीरा और उनकी टीम ने 1948 में संविधान का हिंदी अनुवाद किया, जिसमें संस्कृत के आधार पर नए शब्द बनाए गए।
- मूल दस्तावेज: संविधान का मूल दस्तावेज हस्तलिखित है, जिसे प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने लिखा और शांतिनिकेतन के कलाकारों ने सजाया।
26 नवंबर को हम ‘संविधान दिवस’ के रूप में मनाते हैं, ताकि इसकी महत्ता को याद रखें।
संविधान में बदलाव
संविधान लचीला है, यानी इसमें बदलाव हो सकते हैं। संसद अनुच्छेद 368 के तहत संशोधन कर सकती है। अब तक 106 संशोधन हो चुके हैं, जैसे:
- 42वां संशोधन (1976): प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द जोड़े गए।
- 44वां संशोधन (1978): आपातकाल के दुरुपयोग को रोकने के लिए बदलाव।
- 86वां संशोधन (2002): 6-14 साल के बच्चों को मुफ्त शिक्षा का अधिकार।
हालांकि, मूल संरचना को कोई नहीं बदल सकता, जैसा कि केशवानंद भारती मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा।
संविधान सिर्फ वकीलों या नेताओं के लिए नहीं, बल्कि हर भारतीय के लिए है। यह हमें हक देता है कि हम अपनी बात रखें, अपने धर्म को मानें, और बिना डर के जिंदगी जिएं। लेकिन इसके साथ हमें देश के प्रति वफादारी और पर्यावरण की रक्षा जैसे कर्तव्यों को भी निभाना है।
आजकल स्कूलों में बच्चों को संविधान के बारे में पढ़ाया जाता है, ताकि वे अपने अधिकार और जिम्मेदारियों को समझें।
FAQs
भारत का संविधान क्या है?
भारत का संविधान देश का सर्वोच्च कानून है, जो सरकार का ढांचा, नागरिकों के अधिकार और कर्तव्यों को बताता है। इसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया।
संविधान की प्रस्तावना क्या है?
प्रस्तावना संविधान का परिचय है, जो भारत को संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य बताती है और नागरिकों को न्याय, स्वतंत्रता, और समानता का वादा करती है।
मौलिक अधिकार क्या हैं?
मौलिक अधिकार वो हक हैं, जो हर भारतीय को मिले हैं, जैसे समानता, स्वतंत्रता, धर्म की आजादी, और न्याय पाने का हक।
संविधान में कितने अनुच्छेद हैं?
संविधान में 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियां और 5 परिशिष्ट हैं। यह दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है।
संविधान दिवस कब मनाया जाता है?
26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन 1949 में संविधान को अपनाया गया था।